अतिरिक्त >> नरेन्द्र कोहली की 20 कहानियां नरेन्द्र कोहली की 20 कहानियांनरेन्द्र कोहली
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नरेन्द्र कोहली की 20 कहानियां पुस्तक का आई पैड संस्करण...
आई पैड संस्करण
वह अँधेरे में आँखें फाड़े एकटक छत को घूर रही थी। वस्तुतः वह आँखों से काम नहीं ले रही थी। वे तो ऐसे ही खुली थीं। उसकी सारी ऐंद्रिय शक्तियाँ उसके कानों में सिमट आई थीं। वह केवल सुनने का प्रयास कर रही थी, वह कैसी आवाज थी? सचमुच कोई आवाज थी भी या केवल उसका भ्रम ही था?
सहसा उसकी पूरी खुली आँखें और भी फैल गईं, पर उनमें से स्थिरता का भाव बदल गया था। उनमें भावशून्यता के स्थान पर अब एक निश्चित भाव आ गया था। यह भय था। उसके चेहरे की तनी रेखाएँ शिथिल पड़कर भय से विकृत हो गई थीं। अँधेरे में भी उसके चेहरे का रंग बदलता-सा लग रहा था, पीलेपन की ओर।
काफी प्रयत्न के पश्चात् उसने जीभ से अपने होंठ गीले किए और एकदम निःशब्द करवट बदल ली। उसने बहुत धीमे से अपने पति को छुआ। गहरी नींद में पति पर छुअन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उसने पूरी ताकत से अपनी अंगुलियाँ पति की बाँह में गड़ानी आरंभ कर दीं।
पति ने झपाक से आँखें खोल दीं। उन आँखों में जिज्ञासा का भाव था। शायद वह समझ नहीं पाया था कि उसकी नींद कैसे टूट गई! उसने आँखें खोल-भर दी थीं, पर जाग जाने का कोई भाव अभी उसके चेहरे पर नहीं आया था।
वह बहुत धीरे से फुसफुसाकर बोली, ‘‘जरा सुनना! मुझे तो नीचे कुछ खटका-सा सुनाई पड़ रहा है।’’
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